जुदाई न दे
खुदा जिदंगी मे जुदाई न दे
मुहोबत से हमे रिहाई न दे
मुहोबत है उनसे बहुत हमे पर
क्यू उनको मुहोबत दिखाई न दे
वो समझते नही है बाते हमारी
कहे क्या उन्हे तो सुनाई न दे
खबर तक हमारी नही लेता वो
कैसे उन्हे प्यार की दुहाई न दे
शरीर को त्यागे आत्मा जब मेरे
कोई भी रो कर हमे विदाई न दे
मोहन बाम्णिया पानीपत