जुडाव तुडाव सब घटना
परिचय देकर घर मे घुसे,
अपरिचित वो कैसे हुऐ.
दिन के उजाले में बती जली,
चांदनी रात में,बंद रोशनदान,
घटाटोप अंधकार सुहावना हुआ,
चांदनी रात में जलप्रपात घटित.
ऊभर कर ज्वार पत्थर गोल हुआ,
एक तरफ़ तुम्हारे प्रमाण फिर भी.
ये सब इस कदर कैसे हुआ..
ये तुम्हारी अपनी फहमी है..
जाने फिर भी, ये सब कैसे हुआ.
जो हुआ, जैसे हुआ, सबके सामने हुआ.