दोस्ती अपनी जगह है आशिकी अपनी जगह
दोस्ती अपनी जगह है आशिकी अपनी जगह।
प्यार का जुगनू है काफी रौशनी अपनी जगह।
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इश्क में आते है ऐसे मयकशी के मरहले।
बे खुदी अपनी जगह है बंदगी अपनी जगह।
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तुम ना समझौता करो अपने उसूलों से कभी।
दुश्मनी अपनी जगह है दोस्ती अपनी जगह ।
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अपना भी मअयार है,अपनी वकार ए जिंदगी।
तुम समंदर होंगे लेकिन हम नदी अपनी जगह।
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देख कर रौशन तुम्हारा चेहरा ए पुरनूर को।
आंखे विसाले यार में हैं शबनमी अपनी जगह।
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उस गजाला आंख पर कोई गजल गर लिख सकूं।
सगीर प्यार अपनी जगह है शायरी अपनी जगह।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच।