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28 Nov 2017 · 1 min read

जुगनू जैसा है प्रकाश

जुगनू जैसा है प्रकाश बस,
मिटा न तिल भर भी अँधियारा ,
गर्व बढाया मन में इतना,
सूरज को तुमने ललकारा।

यह गर्वोक्ति न ले लो मन में,
तुम्हीं बड़े हो सारे जग में,
यहाँ किसी ने भी नापी थी,
सारी धरती को इक पल में।

इसीलिये तुमसे कहता हूँ,
बाँट सको बाँटो उजयारा।

अंहकार ही था रावण को,
स्वर्ग नसेनी लगवाउगा,
मैं त्रैलोक्य जीत कर पल में,
विजय पताका फहराउगा।

वह रावण भी नहीं रह सका,
सागर तो अब भी है खारा।

बहुत बड़ा हूँ सागर ने जब,
अंहकार मन में उपजाया,
ऋषि अगस्त ने एक घूँट में,
सोख लिया, उसको समझाया।

जग में ऐसे बहुत लोग हैं ,
जिनने बदली युग की धारा।

मृत्यु जीतने के ही भ्रम में,
छै पुत्रों को जिसने मारे,
नहीं सफल हो पाया फिर भी,
वह विपत्ति को कैसे टारे।

नहीं कंस रह पाया जग में,
और कृष्ण ने उसे पछाड़ा।

परोपकार का भाव रहे तो,
हो जाये ज्योर्तिमय यह जग,
अंधकार हो दूर जगत से,
रहे प्रकाशित अब सारा जग।

सूरज ने तम को हरने हित,
जलना ही उसने स्वीकारा।
इसीलिये तुमसे कहता हूँ
बाँट सको बाँटो उजयारा।

Language: Hindi
Tag: गीत
212 Views
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