जी हां मजदूर हूं
मजदूर हूं मैं जी हां मजदूर हूं मैं,
लेकिन मुझे अफसोस नहीं कि मैं मजदूर हूं ।
सूखा रूखा कुछ भी खाता ,
लेकिन रैन में सोता बड़ा ही शकून हूं।
मुझे गम इस बात का नहीं कि मैं सूखा- रूखा खाता हूं ,
गम इस बात का है कि दुनियां की नज़रों में हीन समझा जाता हूं।
खैर कोई नहीं …ईमानदार हूं ,निज कार्य को करता लाजवाब हूं,
यदि मैं न होता तो क्या तुम आलीशान बंगलों में रह पाते?
या फिर दुनियां की भव्य इमारतों में भ्रमण कर पाते ?
गांव ,नगर , हाट ,बाजार सब मुझसे ही चलते,
लहलहाते खेतों की शान हूं मैं, चिलचिलाती धूप का सितार हूं मैं,
मजदूर हूं मैं जी हां मजदूर हूं मैं।