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14 May 2022 · 1 min read

जी हाँ, मैं

रचना चाहता हूँ मैं,
एक ऐतिहासिक पवित्र दर्शन,
गौरवान्वित एक सत्य,
अकंलक एक प्रतिष्ठा,
अपनी नई रचना में।

महकाना चाहता हूँ मैं,
एक फूल मेरी वाटिका में,
तरु की तरह सींचकर,
अपने खून-पसीने से,
अपने इस जीवन में।

दिलाना चाहता हूँ मैं,
उसको इज्जत और कीर्ति,
महानुभावों एवं सन्तों से,
सृष्टि के सृजनकर्ता से,
हर महफ़िल- सभा में।

बैठाना चाहता हूँ मैं,
उसको अपनी पलकों पर,
मोहब्बत की मूरत बनाकर,
एक स्वच्छ निर्मल बिम्ब स्वरूप,
सुसंस्कृत सभ्य स्त्री के रूप में।

इस जमीं पर उसको,
एक अमर कृति के रूप में,
वर्तमान में और भविष्य के लिए,
अमर करना चाहता हूँ मैं,
अपनी लेखनी से उसको,
जी हाँ, मैं।

शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 389 Views
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