जी सकिया ना में तेरे बिन
जी सकिया ना में तेरे बिन
मर जाऊं हर पल हर दिन
नहीं तेरे सिवा कोई मंजिल
पर तू राह ना मेरी मुमकिन
कैसे समझाऊं मेरे क़ातिल
दिल ले गया बड़े शातिर
ज़िद छोड़ दें तू मेरे खातिर
मेरा दिल करे तूझे हासिल
तेरे प्यार में है जिना मरना
कैसे सहूं में जुदाई सजना
दिन कटे ना यूं आजा रांजना
दूंगी दिल क्या जान भी वरना
तू है सागर की बिछड़ी लेहेर
ढूंडू तुझको में शामों सेहेर
किया कैसा तूने मुझ पे केहेर
रात लगे मुझे क्यूं दोपहर