जी लो जी भर कर
******* जी लो जी भर कर ********
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जो लम्हा है हाथ में जी लो जी भर कर,
दो दिन की है जिंदगी काटो जी भर कर।
भर – भर प्याले पियो मीठा है शरबत,
हर दिन है अनमोल पी लो जी भर कर।
कुदरत मेहरबान कोई ग़म ना हमदम,
मुट्ठी में खुशियाँ ज़रा बांटो जी भर कर।
स्वर्ग से बढ़ कर जमीं फूलों का सज़दा,
प्यारा न्यारा है नज़ारा देखो जी भर कर।
मनसीरत देखा जगत सारा का सारा,
जग फूलों का पिटारा खेलो जी भर कर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल₹