जी ली जिंदगी अब मरने की बारी है
जी ली जिंदगी अब मरने की बारी है
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जी ली जिंदगी अब मरने की बारी है,
प्यार करना भी तो एक बीमारी है।
हौसलों से भरी हों सारी दिलदारियां,
काम आती जोखिम में दिलदारी है।
चारदीवारी में बंद ख्वाबों की उड़ानें,
लहर लहर लहराती भरी क्यारी है।
पग पग पर दगाबाज करें दगाबाजी,
मुश्किल से हो मिलती सच्ची यारी है।
जी का जंजाल बनते बिगड़ते रिश्ते,
समझ आती नहीं कैसी दुनियांदारी है।
जर, जोरु,जमीन उलझा मानव सदा,
जरूरी जीवन में हो गई जरदारी है।
निभाओ शौक से मुख्त्यारी मनसीरत,
खुदा की रहमत से मिली सरदारी है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)