Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2022 · 1 min read

जी रहे है तनाव अभाव दबाव प्रभाव और बेभाव में

चाहे रह रहे हो आप शहर में या गांव में।
हम सब जी रहे है,आज एक तनाव में।।

मिल रहा है अशुद्ध जल व वायु इस संसार में।
जी रहे है हम शुद्ध जल व वायु के अभाव में।।

चाहे रह रहे हो घर में या किसी भी जगह में।
लोग जीवन यापन कर रहे है हर दबाव में।।

प्रभावित है हर इन्सान प्रत्येक परिस्थिति में।
आदमी ले रहा है दूसरे को अपने प्रभाव में।।

महंगाई इतनी बढ़ चुकी है रहा न कोई भाव में।
बाजार में जाइए,वस्तुएं मिल रही है बे भाव में।।

बना है मानव पांच तत्वों से इस संसार में।
इन्ही पांच तत्वों में विलीन होगा संसार में।।

सब जी रहे तनाव,अभाव,दबाव प्रभाव में।
इन चीजों में ही मर जायेंगे हम बे भाव में।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 222 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ram Krishan Rastogi
View all
You may also like:
जय श्री राम।
जय श्री राम।
Anil Mishra Prahari
*संवेदना*
*संवेदना*
Dr. Priya Gupta
हिंदी साहित्य की नई : सजल
हिंदी साहित्य की नई : सजल
Sushila joshi
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
हसरतें बहुत हैं इस उदास शाम की
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
“शिक्षा के दीपक”
“शिक्षा के दीपक”
Yogendra Chaturwedi
" नयी दुनियाँ "
DrLakshman Jha Parimal
"भरोसा"
Dr. Kishan tandon kranti
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
गरीबी मैं खानदानी हूँ
गरीबी मैं खानदानी हूँ
Neeraj Mishra " नीर "
मस्त बचपन
मस्त बचपन
surenderpal vaidya
शिमला: एक करुण क्रंदन
शिमला: एक करुण क्रंदन
Dr.Pratibha Prakash
जीवन के सारे सुख से मैं वंचित हूँ,
जीवन के सारे सुख से मैं वंचित हूँ,
Shweta Soni
संघर्षों को लिखने में वक्त लगता है
संघर्षों को लिखने में वक्त लगता है
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
हवस में डूबा हुआ इस सृष्टि का कोई भी जीव सबसे पहले अपने अंदर
हवस में डूबा हुआ इस सृष्टि का कोई भी जीव सबसे पहले अपने अंदर
Rj Anand Prajapati
निभाने वाला आपकी हर गलती माफ कर देता और छोड़ने वाला बिना गलत
निभाने वाला आपकी हर गलती माफ कर देता और छोड़ने वाला बिना गलत
Ranjeet kumar patre
सावन की है ये पंचमी शुभयोग बना है,
सावन की है ये पंचमी शुभयोग बना है,
Anamika Tiwari 'annpurna '
प्रेम लौटता है धीमे से
प्रेम लौटता है धीमे से
Surinder blackpen
सतयुग में राक्षक होते ते दूसरे लोक में होते थे और उनका नाम ब
सतयुग में राक्षक होते ते दूसरे लोक में होते थे और उनका नाम ब
पूर्वार्थ
रुख़सारों की सुर्खियाँ,
रुख़सारों की सुर्खियाँ,
sushil sarna
🤔🤔🤔समाज 🤔🤔🤔
🤔🤔🤔समाज 🤔🤔🤔
Slok maurya "umang"
मेरी सुखनफहमी का तमाशा न बना ऐ ज़िंदगी,
मेरी सुखनफहमी का तमाशा न बना ऐ ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिंदगी और जीवन भी स्वतंत्र,
जिंदगी और जीवन भी स्वतंत्र,
Neeraj Agarwal
*
*"गौतम बुद्ध"*
Shashi kala vyas
विराम चिह्न
विराम चिह्न
Neelam Sharma
शाम हो गई है अब हम क्या करें...
शाम हो गई है अब हम क्या करें...
राहुल रायकवार जज़्बाती
Dr Arun Kumar shastri ek abodh balak
Dr Arun Kumar shastri ek abodh balak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
3528.🌷 *पूर्णिका*🌷
3528.🌷 *पूर्णिका*🌷
Dr.Khedu Bharti
प्यासी कली
प्यासी कली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
Loading...