जी रहा हूँ जिंदगी गुमनाम की
दिल लगी ये दिल लगी बस नाम की||
जी रहा हूँ जिंदगी गुमनाम की||1||
ख्वाब आते जाते रहते पर प्रभू|
जप रहा माला मै तेरे नाम की||2||
दर्श देना जब मिले मौका प्रभू|
देखनी है-२ कैसी सूरत राम की||3||
?
उफ ‘धुरंधर’ आज तो भक्ति मे है|
क्या अभी उतरी नहीं है शाम की||1||
~जनार्दन पाठक ‘धुरंधर’