“जी तो रहा हूँ “
“जी तो रहा हूँ ”
—————-
जी तो रहा हूँ
मगर ऐ ज़िंदगी
तुझसे कटा कटा सा हूँ
ध्यान से पढ़ना
ज़रा ये खबर
अख़बार फटा फटा सा हूँ
मत ढूँढो सकून
शहर में ऐ दोस्त
आदमी ज़रा बँटा बँटा सा हूँ
कहाँ साया देगा
सूखा पत्ता ऐ राही
दरख्त से बस सटा सटा सा हूँ
पूछ लो सवाल
कोई भी इनसे
जवाब बस रटा रटा सा हूँ।
जब भी तोला
ज़िंदगी को तुमने
लम्हा लम्हा घटा घटा सा हूँ
—————————–
राजेश’ललित’शर्मा