जी करता है……….
इनका उनका मेरा तेरा और हमारा
बीत गया जो बचपन सबका प्यारा
कहीं धीरे से उसको फिर चुरा ले आएं
जी करता है फिर से हम बच्चे हो जाएं
दादी नानी अम्मा की गोद वो प्यारी
दुनिया भर में सबसे सुंदर सबसे न्यारी
मन करता है चुपके से उसमें छुप जाएं
जी करता है फिर से हम बच्चे हो जाएं
कहां मिलेगी किंतु ऐसी गोद वो प्यारी
छूट गई जो घड़ी कहीं मोद की न्यारी
मन को उस ओर ज़रा सा फिर भरमाएं
जी करता है फिर से हम बच्चे हो जाएं
पिता का साया और बेफिक्री बचपन की
पूरी होती रही सभी वो चाहें मन की
पिता की उंगली बाहें उनकी फिर ललचाएं
जी करता है फिर से हम बच्चे हो जाएं
बचपन के वे खेल और साथी सब प्यारे
रिश्तों के वे रूप अनोखे निश्छल न्यारे
खेलें फिर वे खेल और उनमें खो जाएं
जी करता है फिर से हम बच्चे हो जाएं।
अशोक सोनी
भिलाई ।