जीवा रै तारण सारु,
जीवा रै तारण सारु,
प्रकट्या तारणहार।
हरखीज्यो जगत ओ,
जलम्या जद दरियाव।।
जलम्या जद दरियाव,
शेष दरसन कूं आऐ।
प्रेम जी री किरपा हैठे,
आप परम पद पाऐ।।
जीवा रै तारण सारु,
आप पधारे देव।
जै कोई भी तिरने आवै,
करो वणा री सहाय।।
सतगुरु भगवंत श्री दरियाव सा महाराज रै प्राकट्य दन री हिवडेतणी सूं घणी घणी अर मौखळी बधाईयां अरज हुवै सा 🙏 🙏 🙏 🙏
लक्की सिंह चौहान
बनेड़ा (राजपुर), मेवाड़