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7 Jun 2023 · 1 min read

जीवन

जी
आने
प्राण
होते हैं,
जीव में,
आता हैं
धरा धाम
जीने को
जीवन।
जीव का ये
जीवन
समझो
सघन वन
दुर्गम पथ संग
कहीं कहीं निर्जन।
वन ऐसे
समझो
सुख और दु:ख
हैं संग
छोड़े आत्मा देह
होता तब
जीव, न
इस प्रकार
जी..
जीव..
जीवन..
मिलकर है
जीवन।

रामनारायण कौरव

Language: Hindi
63 Views
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