जीवन
जीवन बस इक संघर्ष है,
जिस्मे अवसाद ज्यादा,कम हर्ष है!!जीवन बस इक…
राहें आसान हो जाती है,
यदि साथी आपका कोई समदर्श है!!जीवन बस इक…
हर मोड़ पर बधाओं की नहरे है,
पर तैरने वाले कहां ठहरे हैं?
फिर भी न जाने क्यूं अपकर्ष है?जीवन बस इक…
करो कुछ इस वर्ष ऐसा.
कहै लोग बस “बदल रहा भारतवर्ष है!”
जीवन बस इक संघर्ष है!!
मौलिक सर्वाधिकार सुरछित रचना
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट,कवि ,पत्रकार
202नीरव निकुज,सिकन्दरा,आगरा-282007