जीवन
जीवन
सरस सलिल सा बहता जीवन
अवरोधों संग बढ़ता जीवन
निशा दिवस है गतिमय जीवन
हँसते गाते चलता जीवन ।
दुख के पल भी सहता जीवन
सुख के क्षण भी जीता जीवन
जिन्दगी की नियत डगर में
अगणित सपनें गढ़ता जीवन ।
कभी सदी सा बनता जीवन
कभी घड़ी में घटता जीवन
समय के संग संग ही अपने
मानक निश्चित करता जीवन ।
आशा में है रहता जीवन
अहसासों में पलता जीवन
मोह – निर्मोह का भेद खोजता
बना धरा पर रहता जीवन ।
डॉ रीता
आया नगर , नई दिल्ली