जीवन
गमले में खिले फूल
ज़िंदगी के रंग से मेल खाते
छोटी सी अपनी परिधि में
खिलते – मुस्कुराते
और मिट जाते
आँगन महकाते
बिना शिकायत के जिएँ जाते
एक न्यून काल के लिए
फिर मनुष्य को इतनी
शिकायतें क्यूँ ?
जबकि जीवन है
अप्रत्याशित,अनगढ़,अपरिचित
गमले में खिले फूल
ज़िंदगी के रंग से मेल खाते
छोटी सी अपनी परिधि में
खिलते – मुस्कुराते
और मिट जाते
आँगन महकाते
बिना शिकायत के जिएँ जाते
एक न्यून काल के लिए
फिर मनुष्य को इतनी
शिकायतें क्यूँ ?
जबकि जीवन है
अप्रत्याशित,अनगढ़,अपरिचित