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3 Oct 2019 · 1 min read

जीवन

कभी चाल
कभी हाल
तो कभी जीवन
होता है बदहाल
हाँ एक सन्तोष
रह जाता है
अनुभव भी तो
जीवन ढलने पर
हो पाता है
जीवन बगिया में
हैं खिलते कभी
आनन्दरूपी अनगिनत प्रसून
तो कभी कष्ट रूपी कंटकों से
घायल होकर ही
जीवन हो लेता है
विलीन होकर न्यून।।

Language: Hindi
205 Views
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