जीवन
जीवन में आगे बढ़ने को,
सतत प्रयत्न मनुज करता है।
किंतु अप्राप्य सुखों को पाने,
जीते जी ही नित मरता है।।
असंख्य मन मष्तिक में पाले,
सपनों में खोया भी होगा,
कितनी बार हँसा भी होगा,
कितने क्षण रोया भी होगा।।
कल क्या होगा सोच नहीं तू,
नींद चैन की सोया होगा ।
यह तो सत्य, वही काटेगा,
जो कुछ तूने बोया होगा।।
कर्म किये जा नित निर्मल मन,
चैन अभीष्ट अवश आयेगा।
रचा विधाता ने जो कुछ है,
कर्म पंथ चल वह पायेगा।।
किंतु सदा जीवित रहने को,
कुछ शुभ करके जाना होगा,
माना पुनर्जन्म फिर होगा,
पर दूजे तन आना होगा।।
जीवन तब तक ही जीवन है,
जब तक इस तन में जीवन है।
द्वेष, दंभ, भय दूर रहे तब,
यह जीवन सुंदर मधुबन है ।।
– नवीन जोशी ‘नवल’