जीवन
यादगार पल!
बीत गया जो कल!
वापस नहीं आएगा,
केवल छवियों का छल!!
पर स्मृतियाँ जिन पर-
अधिकार नहीं होगा कल!!
छन भंगुर जीवन का,
क्या है कोई स्थिर हल?
मानव जीवन का फल,
अंकुर,कोपल,पतझड़ कल!!
बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट,कवि,पत्रकार
202 नीरव निकुजं,फेस-2,सिकंदरा,आगरा-282007
मो:9412443093