जीवन है क्षण भंगुर
जो आया है उसे जाना है
कुछ वर्षो तक जिन है
जीवन है क्षण भंगुर
मुट्ठी बांध के आता है
सबकुछ छोड़ जाता है
जीवन है क्षण भंगुर
अच्छे बुरे कर्म करता है
यही उसे भुगतना है
जीवन है क्षण भंगुर
द्वेष क्लेश सब छोड़ दे
प्यार से रहना सीख ले
जीवन है क्षण भंगुर
क्या लाया क्या ले जाएगा
सब छोड़ छाड के जाना है
जीवन है क्षण भंगुर
– बाळकृष्ण काळे