जीवन हवन (कविता)
जीवन कर्मशीलता का एक हवन है
संघर्ष की यहाँ चलती रोज पवन है
तू ठहरना मत पीछे कभी मुडना मत
सफलता का यही अडिग नियम है
काटना सीख तू विफलता के वृक्ष को
सफलता की तेज तलवार तू स्वयं है
बढ आगे कंक्रीट के कटीले मार्ग पर
वीर योद्धाओं का यही बस चयन है
विषमताये सफलता की है कुंजी
कामयाबी का मात्र बस यही हवन है
फहराते वही अन्तिम विजय ध्वज
जीवन मे जिसके संघर्ष सघन है।
निराशा में जगमग कर नई आशाएँ
तू विजय सूर्य की नूतन किरण है।
मोहित शर्मा स्वतंत्र गंगाधर