जीवन से पहले ? मृत्यु के बाद ?
जीवन से पहले ? मृत्यु के बाद ?
आपस में गहरा मेल है
दोनों ही परिस्थितियों में
शरीर नही रहता
सब आत्मा का खेल है ,
सुना है मरने के बाद भी
आत्मा मरा नही करती
यहाँ तो जीते जी
आत्मा मर गई है
और शरीर ज़िंदा है ,
इतना कष्ट देख कर
आत्मा ने भी शरीर छोड़ दिया
शरीर आत्मा के जाने के बाद भी
अपने को ज़िंदा देख कर
हद से ज्यादा शर्मिंदा है ,
बिना आत्मा के शरीर
वैसे ही चल रहा
हर ज़िल्लत हर तक़लीफ
हँस – रो कर सह रहा
वादों से बंधा बंदा है ।
जब आत्मा ही नही शरीर में
फिर मुक्ति किसको मिलेगी
इस अजीब से ख्याल ने
मन के उठते सवाल ने
डाला संशय का फंदा है ,
जीते जी शरीर ने जो भोगा
और मन ने जो महसूस किया
बस उसी का अनुभव है
जीवन से पहले ? मृत्यु के बाद ?
ये जानना तो असंभव है ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 04/02/2020 )