Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Nov 2024 · 1 min read

*जीवन समझो एक फुलझड़ी, दो क्षण चमक दिखाती (हिंदी गजल)*

जीवन समझो एक फुलझड़ी, दो क्षण चमक दिखाती (हिंदी गजल)
_________________________
1)
जीवन समझो एक फुलझड़ी, दो क्षण चमक दिखाती
फिर बुझकर हो निष्प्रयोज्य यह, विदा स्वयं हो जाती
2)
समय एक-सा नहीं रहेगा, मर्यादा मत भूलो
सोचो भला कौन है जिस पर, नहीं मुसीबत आती
3)
समय-समय का फेर चल रहा, जग में प्रतिदिन देखो
सुबह हुई तो उजियारा है, रात्रि कालिमा लाती
4)
भले देह से वे बूढ़े हों, मुखमुद्रा मुस्काती
जिनके जीवन में संयम है, सच्चाई की थाती
5)
ईश्वर को दो धन्यवाद जो, सुंदर सृष्टि बनाई
पेड़ रोज फल दे जाते हैं, नदी नीर भर लाती

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

31 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

तेवरी-आन्दोलन युगानुरूप + शिव योगी
तेवरी-आन्दोलन युगानुरूप + शिव योगी
कवि रमेशराज
शीर्षक - स्वप्न
शीर्षक - स्वप्न
Neeraj Agarwal
अस्थिर मन
अस्थिर मन
Dr fauzia Naseem shad
अधूरा प्रेम
अधूरा प्रेम
Mangilal 713
खुद से बिछड़ना
खुद से बिछड़ना
Surinder blackpen
"औरत"
Dr. Kishan tandon kranti
■आप बताएं■
■आप बताएं■
*प्रणय*
प्रभु ने बनवाई रामसेतु माता सीता के खोने पर।
प्रभु ने बनवाई रामसेतु माता सीता के खोने पर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Tarun Singh Pawar
*प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं*
*प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
Keshav kishor Kumar
★किसान ★
★किसान ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
मोहब्बत की सजा बेमिसाल दी उसने।
मोहब्बत की सजा बेमिसाल दी उसने।
लक्ष्मी सिंह
अंधा वो नहीं होता है
अंधा वो नहीं होता है
ओंकार मिश्र
इतनी धूल और सीमेंट है शहरों की हवाओं में आजकल
इतनी धूल और सीमेंट है शहरों की हवाओं में आजकल
शेखर सिंह
हां ! हमें दुनियादारी नहीं आती ।
हां ! हमें दुनियादारी नहीं आती ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
उस पद की चाहत ही क्या,
उस पद की चाहत ही क्या,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ये एक तपस्या का फल है,
ये एक तपस्या का फल है,
Shweta Soni
यह तो होता है दौर जिंदगी का
यह तो होता है दौर जिंदगी का
gurudeenverma198
आधुनिक दोहे
आधुनिक दोहे
Suryakant Dwivedi
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
दुनियाँ में सबने देखा अपना महान भारत।
दुनियाँ में सबने देखा अपना महान भारत।
सत्य कुमार प्रेमी
रिश्तो से जितना उलझोगे
रिश्तो से जितना उलझोगे
Harminder Kaur
पैगाम
पैगाम
Shashi kala vyas
मंझधार
मंझधार
Roopali Sharma
زخم اتنے مل چکے ہیں تتلیوں س
زخم اتنے مل چکے ہیں تتلیوں س
अरशद रसूल बदायूंनी
अच्छाई
अच्छाई
Ritu Asooja
23/171.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/171.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पिता, इन्टरनेट युग में
पिता, इन्टरनेट युग में
Shaily
------------जिससे जितने संयोग मिलेंगे------------
------------जिससे जितने संयोग मिलेंगे------------
पूर्वार्थ
Loading...