जीवन सफल
नियमों बंधे हुए अनुशासन का पाठ पढ़ाते हैं,
छोटी छोटी बातों पर भी गुस्सा हो जाते हैं।
सादा जीवन की सिख हमे अक्सर दे जाते हैं,
बात बात में ही बचत का गुण हमे सिखाते हैं।
हमारी छोटी सी तकलीफ में भी परेशान हो जाते हैं,
कितना भी हो भाग दौड़ चेहरे पर थकान नही दिखाते हैं।
ऐसे मेरे पापा हैं।
जब कही घूमने की हो बात,
सबसे पहले मन मे उनके आता ये सवाल,
क्या तुम जा पाओगी?
कोई तकलीफ तो तुम नही उठाओगी।
हम सब की खुशियों की खातिर अपनी खुशियों को करते नजरअंदाज,
हमारी इच्छा का है रखते मान,
ऐसे मेरे पापा हैं।
मेरे वजूद को जो मिली पहचान,
वह उनके त्याग का है परिणाम,
उनके परिश्रम का है ये फल,
मैं खडी हूँ अपने पैरों पर,
जब कोई कहता है कि”बिल्कुल अपने पापा पर गयी है”
तब लगता हो गया जीवन सफल