जीवन संघर्षो भरा है
“भाग उठा होके परेशान
जीवन के झंझावातों से
दर्द बहुत है इस जीवन में
हर पल चुभते है काँटों से ,
छोटी बातें,अधूरी यादें
सब छूट यहाँ पे जाते है
हर जर्रा होता है बेनामी का
या रूठ पुनः से जाते है ,
संघर्षो भर कहानी है
ना जीवन जीना आसानी है
दुविधाओं का संसार बड़ा है
ईमान हुआ अब पानी है ,
भीगी पलकों से झरते है
अब उम्मीदों के झरने प्रतिपल
गिर पड़ती है बिजली सी जीवन में
होती है जब आशाये विफल ,
कुछ खुद्दारी के किस्सों में लिपटे
आत्मीयता को संजोये लोग
दुर्लभ होते अब इस जहाँ से
सहानुभूति में तन्मय लोग ,
स्वालम्बन की दिशा में
आज फिर से चलना होगा
होने को आत्मनिर्भर पुनः
कंधो को फिर जुड़ना होगा ||”