जीवन संगीत अधूरा
जीवन संगीत अधूरा
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जिस दिन
तुम सरहद पर
बलिदान हुए थे
आतंकी गोली से
प्रण लिया
तभी था मैंने
शेष रहे स्वप्नों में
मैं स्वयं रंग भरूँगी
जो काम रहा था बाकी
उसको पूर्ण करूँगी….!उ
उस प्रण की खातिर मैंने
दायित्व सभी निभाए
घर और बाहर के,
अपनों के तानों का
मन भर गरल पिया है….!!
अब नीलकण्ठ बनी
वर्दी पहन खड़ी हूँ
सरहद पर
लड़ने वालों के लिए
सैन्य चिकित्सक बनी हूँ…..!!!
बेटा भी
तैयारी में है
तुम्हारे पदचिह्नों पर
चलने को……..!!!!
समर ये जीवन का
भले हो रहा पूरा
सच कहूँ
पिया तुम बिन
जीवन संगीत अधूरा…….!!!!!
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डा० भारती वर्मा बौड़ाई