जीवन संगनी की विदाई
छोड़ कर जा रही हूं तुम्हें,मुझे याद मत करना।
जाना है सबको संसार से 1 दिन सबको मरना।।
जन्म हुआ है जिसका,मृत्यु भी उसकी एक दिन होगी।
ये क्रम चलता रहेगा,इसमे बदल कभी भी ना होगी।।
ले रही हूं विदाई तुमसे,अगले जन्म मिलना होगा।
सोच रही हूं मैं,ऐसा ही ये विधि का विधान होगा।
बेटी जब आए सुसराल से,उसे रोने कभी मत देना।
रो रो कर बेहोश हो जायेगी,उसे संभाल तुम लेना।।
तंग करना न बहू बेटो को अपना काम खुद करना।
रात को जब प्यास लगे,लोटा भर कर जल का रखना।।
चश्मा छड़ी मोबाइल अपने,नियत स्थान पर रखना।
मिले नही जब ये तुमको,शांतभाव तुम अपने रखना।।
आए जब कोई रिश्तेदार,बहु बेटे की बुराई मत करना।
शांत स्वर बनाकर तुम,उनकी आव भगत ही करना।।
मन करे किसी चीज का,किसी को कुछ नहीं कहना।
अपने मन को नियंत्रण करना,मन मसोस कर रखना।।
इस जीवन मे आपने,मेरा कहा कभी ना माना।
इस जिद्द को छोड़कर,अपना व्यवहार नम्र रखना।।
आपको है बी पी डायबटीज,मीठा कभी न खाना।
जाना पड़े किसी प्रोग्राम में,अपने घर से ख़ाके जाना।।
बेटा बहू कभी कुछ कहे,उनकी चुपचाप सुन लेना।
आए जब तुमको गुस्सा,अमृत की तरह तुम पी लेना।।
भूल जाना धीरे धीरे,मुझे याद कभी मत करना।
मेरे बिन जीने की,आदत जीवन में डाल लेना।।
उठो,सुबह हो गई है,अब तुमसे कोई नही कहेगा।
अपने आप ही उठ जाना,नखरे कोई नही सहेगा।।
ले लेना दवाई टाइम से,किसी को तंग मत तुम करना।
लेते समय दवाई अपनी,मुझको याद मत तुम करना।।
निभा न सकी वचन मै,साथ मरने जीने का।
माफ़ कर देना मुझको,न वचन पूरा करने का।।
पोते पोती के साथ खेलकर,जीवन व्यतीत करना।
अपने आप भी खुश रहना,औरों को भी खुश रखना।।
दुखी होने लगे जब बहू बेटे,कर लेना आश्रम प्रस्थान।
अंतिम समय शांति से बिताना,लेते रहते प्रभु का नाम।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम