जीवन लीला
जीवन – लीला रहे अधूरी सुख – दुख के संयोग बिना ..
प्रीति कहाँ हो पाती पूरी कुछ दिन विरह वियोग बिना..
खट्टे – मीठे सभी स्वाद से सजी गृहस्थी की थाली ..
पार कहाँ लगती है नैया आपस के सहयोग बिना ..
जीवन – लीला रहे अधूरी सुख – दुख के संयोग बिना ..
प्रीति कहाँ हो पाती पूरी कुछ दिन विरह वियोग बिना..
खट्टे – मीठे सभी स्वाद से सजी गृहस्थी की थाली ..
पार कहाँ लगती है नैया आपस के सहयोग बिना ..