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27 Mar 2019 · 1 min read

जीवन ये व्यापार हो गया -मुक्तक

दाना –दाना तरसे भाई ,
कातर नयना ताके ताई ,
कृषक मौन , घर द्वार बह गया ।
जीवन ये व्यापार हो गया ।

सुविधायें सब नौ दो ग्यारह ,
चमचों की अब है पौ बारह ,
जीवन नैया डूब रही है ,
शायद हो मिलना दो बारा ,
आश्वासन का राज हो गया ।
जीवन ये व्यापार हो गया ।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव , सीतापुर
26-03-2019

Language: Hindi
284 Views
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