दिल झूम उठा
****** दिल झूम उठा ******
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आया सन्देश दिल झूम उठा,
है कौन से देश दिल झूम उठा।
देखते रहते हर रोज खोल उसे,
हुआ जब प्रवेश दिल झूम उठा।
एक झलक काफी है वो आये,
बदला है भेष दिल झूम उठा।
आँखे ताकती हुए थकने लगे,
आया दरवेश दिल झूम उठा।
मनसीरत पहली और आखिर,
जीत जाऊं रेश दिल झूम उठा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)