जीवन में मंथन
है जीवन क्षणभंगुर
दिया है प्रभु ने इसे सुन्दर
करो काम अच्छे अच्छे
करो मंथन सच्चे सच्चे
माता पिता ने दिया है जीवन
हैं उनके प्रति भी दायित्व हमारे
करें सेवा उनकी जीवन में
हो शामिल यह भी मंथन हमारे
बढ़े मंथन से ज्ञान सभी का
दिखाई ॠषि मुनियों ने राह
करके मंथन हो गये
तुलसी काली महान
रहे जब तक ये जीवन
बना रहे साथ मंथन का हमारा
जिस दिन आँखे बंद हुई
बंद हुआ चिंतन मनन सारा
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल