जीवन में बहुत मोड़ है
जीवन में बहुत मोड़ है,
शूल भरे यहाँ के रोड़ है,
सुख दुःख का जोड़ है,
स्वार्थ की यहां दौड़ है,
मतलब का मीठा जहर है,
बरस रहा बन कहर है,
दम घुंटता हर पहर है,
ढह गए स्नेह के शहर है,
रिश्तों के धागे टूटते,
राह में अपने छूटते,
अपने ही अब लूटते,
बोलो क्यों वो रूठते?
क्योंकि…..
यही जीवन है,
जीवन में बहुत मोड़ है,
शूल भरे यहां के रोड़ है,