जीवन में चुनौती
होता नहीं
मुकाम नज़दीक
लक्ष्य गर
दिख जाए
लगाओ दौड़
बिना रूके
मंजिल
पहुँच जाऐंगे
हिमा है
भारत की शान
इच्छाशक्ति
जगाई मन से उसने
आत्मविश्वास
बढ़ाया उसने
फिर लगाई
ऐसी दौड़
विश्व में बढ़ाया
भारत का मान
थक जाते है
बुढ़ापे में
भागते दौड़ते
गुजरती उम्र
जब होती
आराम की उम्र
बच्चे वॄध्दाश्रम
की दौड़
लगवा देते हैं
मत डरो
दौड़ से
कोई आगे तो
कोई पीछे
रहेगा ही
उम्मीद है यह
आज नहीं
तो कल
आगे आएंगे ही
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल