जीवन में एक दिन
मधुवन में खिलती कलियों सी ,
दंत कथाओं की परियों सी ,
नीरसता से पूर्ण हृदय में
आना बन मधुमास निमंत्रण ,
तुम मेरे इस एकाकी से
जीवन में एक दिन I
कालरात्रि का तुम नयनों में ,
निःस्तब्ध अंजन सा भर के ,
कलुषता के अग्नि दाह को
शशि प्रभा सा शीतल कर के ,
आ जाना मुस्कान सहेजे
विकृतियों का करने खंडन ,
तुम मेरे इस एकाकी से
जीवन में एक दिन I
बढ़ने लगे पीड़ा अधीर हो ,
तप्त जेठ की दोपहर सी ,
शूल सदृश पवन के झोंके
आघातों की लगे लहर सी ,
कष्टों से क्षत विक्षत मन में
आना बन के सुगन्धित चन्दन ,
तुम मेरे इस एकाकी से
जीवन में एक दिन I