जीवन में आगे बढ़ना है
जीवन में आगे बढ़ना है,
आगे -आगे ही रहना है ,
पढ़ना है जी, पढ़ना है,
सर्वदा अब्बल रहना है।
विद्यालय जाने में बिलंब न करना है,
जल्दी – जल्दी विद्यालय चलना है।
शिक्षा एक सुंदर संस्कार है ,
जीवन से इसका सरोकार है,
अपने अध्यापक से सीखना है,
अपने अध्यापक से जानना है।
विद्यालय जाने में विलम्ब न करना है,
जल्दी -जल्दी विद्यालय चलना है ।
उठना बैठना चलना रुकना,
गाना हंसना पढ़ना लिखना,
मिलना- जुलना खेलना खाना…
जीवन को सहज संवारना है।
विद्यालय जाने में बिलंब न करना है
जल्दी – जल्दी विद्यालय चलना है।
मां ने जन्म दिया है मुझको
पापा ने परवरिश दी है मुझको
ये ही मेरे प्रथम गुरु- पिता हैं
इनके ही छांव में रहना है।
समय पर विद्यालय पहुंचना है,
देर नहीं बिलकुल करना है,
विद्यालय जाते हैं जो बिलंब से,
सफलता भी उसे देर से मिलना है।
विद्यालय जाने में विलम्ब न करना है,
जल्दी -जल्दी विद्यालय चलना है।
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स्वरचित घनश्याम पोद्दार
मुंगेर