***जीवन में आगे बढ़ना तू जारी रख***
***जीवन में आगे बढ़ना तू जारी रख***
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जीवन में आगे बढ़ना तू जारी रख,
चलता जा यूं ही चलना तू जारी रख।
पग पग पर चाहे मिलती ही हारें हों,
कुछ भी हो कोशिश करना तू जारी रख।
डर के आगे हो जय हिम्मतवर जन की,
हर मुश्किल पथ पर लड़ना तू जारी रख।
कोई तो होगा जग में जो समझेगा,
खुद की खुद्दारी पर अड़ना तू जारी रख।
अंधेरों से डर सूरज कब रुक पाया,
अंधेरी रातों में जगना तू जारी रख।
रेशम की डोरी जैसे होते रिश्ते,
रिश्तों से उपर हो सहना तू जारी रख।
दरिया के तट पर क्यों फिरते मनसीरत
सागर की लहरों सा बहना तू जारी रख।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)