जीवन में अँधियारा छाया, दूर तलक सुनसान।
जीवन में अँधियारा छाया, दूर तलक सुनसान।
धराशायी हुईं सब खुशियाँ, लुटे सकल अरमान।
बड़े अजब हैं खेल नियति के, बड़ी गजब है चाल,
पलभर में हँसते मुखड़े की, छीने ये मुस्कान।
© सीमा अग्रवाल
जीवन में अँधियारा छाया, दूर तलक सुनसान।
धराशायी हुईं सब खुशियाँ, लुटे सकल अरमान।
बड़े अजब हैं खेल नियति के, बड़ी गजब है चाल,
पलभर में हँसते मुखड़े की, छीने ये मुस्कान।
© सीमा अग्रवाल