Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Oct 2020 · 1 min read

जीवन मनहरण घनाक्षरी

******* जीवन *****
** मनहरण घनाक्षरी**
******************
जीवन का है आधार
खुशियों भरा संसार
खुशी हो या फिर गम
मिलें सुखों का हार

जीवन है बहुरंगी
जैसे बजती सारंगी
रंग बिरंगे रंगो से
रंगें रंग नारंगी

कैसा भी हो हालचाल
सदा रखिए संभाल
कुदरत ने बनाई
दुनिया चाल बाज

मनसीरत बताता
झूठ रास नही आता
जीवन के सच्चाई का
मोल मनक्ष को भाता
*******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 404 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

..
..
*प्रणय*
सुनअ सजनवा हो...
सुनअ सजनवा हो...
आकाश महेशपुरी
भीगते हैं फिर एक बार चलकर बारिश के पानी में
भीगते हैं फिर एक बार चलकर बारिश के पानी में
इंजी. संजय श्रीवास्तव
एक संदेश
एक संदेश
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
पर्वत और गिलहरी...
पर्वत और गिलहरी...
डॉ.सीमा अग्रवाल
एहसास
एहसास
Dr. Rajeev Jain
मा शारदा
मा शारदा
भरत कुमार सोलंकी
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
माता पिता के श्री चरणों में बारंबार प्रणाम है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
राम आ गए
राम आ गए
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
4499.*पूर्णिका*
4499.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तन मन में प्रभु करें उजाला दीप जले खुशहाली हो।
तन मन में प्रभु करें उजाला दीप जले खुशहाली हो।
सत्य कुमार प्रेमी
संवेदनशीलता
संवेदनशीलता
Rajesh Kumar Kaurav
घमंड की बीमारी बिलकुल शराब जैसी हैं
घमंड की बीमारी बिलकुल शराब जैसी हैं
शेखर सिंह
बड़ी मादक होती है ब्रज की होली
बड़ी मादक होती है ब्रज की होली
कवि रमेशराज
कहा जाता
कहा जाता
पूर्वार्थ
गज़ल क्या लिखूँ मैं तराना नहीं है
गज़ल क्या लिखूँ मैं तराना नहीं है
VINOD CHAUHAN
भरी महफिल में मै सादगी को ढूढ़ता रहा .....
भरी महफिल में मै सादगी को ढूढ़ता रहा .....
sushil yadav
कारगिल युद्ध के समय की कविता
कारगिल युद्ध के समय की कविता
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
22. We, a Republic !
22. We, a Republic !
Ahtesham Ahmad
*राखी  आई खुशियाँ आई*
*राखी आई खुशियाँ आई*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कुंडलिया (मैल सब मिट जाते है)
कुंडलिया (मैल सब मिट जाते है)
गुमनाम 'बाबा'
हमने ये शराब जब भी पी है,
हमने ये शराब जब भी पी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अपनी शान के लिए माँ-बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं
अपनी शान के लिए माँ-बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं
gurudeenverma198
घर की कैद
घर की कैद
Minal Aggarwal
नाम बदलें
नाम बदलें
विनोद सिल्ला
तू  मेरी जान तू ही जिंदगी बन गई
तू मेरी जान तू ही जिंदगी बन गई
कृष्णकांत गुर्जर
“ आओ, प्रार्थना करें “
“ आओ, प्रार्थना करें “
Usha Gupta
एक बार
एक बार
Shweta Soni
आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..?
आसमां में चाँद छुपकर रो रहा है क्यूँ भला..?
पंकज परिंदा
Loading...