जीवन भ्रम की रात है….
सागर की भांति गंभीर हो,
श्याममल वर्ण तुम्हारा ।
सुख दुख में सम रहकर देखो,
जीवन को हंसकर जी के देखो।
हो जायेगा जीवन मधुवन ,
खिल उठेगी कलियां।
प्रातकाल की उगती किरणें ,
खिल उठेगी जीवन बगिया।
प्राणभय, मानभय, धनभय, पद्भय
से मुक्ति ही मोक्ष है।
सुविधा से सुख नहीं सामान से सम्मान नहीं
समाधान में सुख खोजो तुम,
जो जैसा है वैसा जानो ।
भ्रम की रात कट जायेगी
जीवन की मंजिल आ जायेगी।