जीवन पायो हीरा सा
मिला है
जीवन हीरा
लगाओ इसे
सदकर्मो में
उड़ जाऐंगे
प्राण पंछी बन
न रह जाऐगा
तब कुछ
है बच्चे हीरे
माता पिता के
उतरना है खरा
उनकी उम्मीदों पर
रखता हैं
पारखी निगाह
सुनार
पहचानता है
असली नकली
रत्न
देते है खुशहाल
जिंदगी
असली रत्न
जीवन में
बने सबके
शुभचिंतक
रखे सब का
मान
रहें जहाँ भी
जिंदगी में
हीरा बन
रहेगी
जीवन में
शान
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल