जीवन पर दोहे
जीवन पर पाँच दोहे
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तुलसी घर की शान है ,
पुण्य करे चहुँ ओर।
जीवन में सुख ही भरे,
बाँध प्रीति की डोर।।
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औषधि जीवन का बड़ा,
प्रचलित तीनों लोक।
तुलसी मानव का हरे,
दुख पीड़ा सब शोक।।
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वेदों में भी है लिखा,
तुलसी का गुणगान।
मानवता का है यही,
इस जग में पहचान।।
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भीम बहुत खाने लगे,
भूख बढ़ा जब रोज।
तृप्त हुए जीवन मिला,
तुलसी पाकर भोज।।
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तुलसी माता पूज्य हैं,
जो जन पूजे रोज।
दुख विपदा सब दूर हो,
बढ़ता मुख पर ओज।।
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रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822