जीवन पथ
आज फिर एक नई सुबह
एक नयी उमंग
नई उम्मीदों के संग
बढ़ चले हैं हम
जीवन पथ पर अग्रसर।
बिना अंजाम की परवाह किए
आँखों में नये सपने लिए
उसके पीछे भागते
उठते गिरते खुद को सम्भालते
जीवन पथ प्रशस्त करे।
थकते-रूकते चलते चलते
और फिर से आगे बढ़ चलते
हां साहब ! कुछ यूँ ही
ये जिंदगी है चलेगी ही
जीवन डगर पर रुकते दौड़ते।
ये कभी ठहरती नहीं है
इसकी गति बहुत तीव्र है
इसी के साथ चलने की कोशिश
मंजिल तक पहुँचने की कोशिश में
जीवन मंजिल पार करते चल।
लगी हूँ मैं पूर्णतया
लगा है सारा जहां
हां, हर एक नई सुबह
एक नयी उमंग लिए ही
जीवन मार्ग को प्रश्स्त करती।
नये उम्मीदों के संग
बढ़ चले हैं हम तुम
चल कर दौड़ कर
बस जीवन सफर पार कर
जीवन उम्मीद की किरण लिए।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद