जीवन पथ
भय नहीं कर चल मुसाफिर, अभी तुझे जाना है दूर
कर भरोसा खुद पर, लड़ने को खुद से
पाना है तुझे मंजिल को पथ से
खुद पर ना कर रेहम हमेशा, तू थोड़ा है क्रूर
पास खड़ा है तू मंजिल के, मंजिल थोड़ी दूर
तुझमें है कोई नई बात जिसके लिए तू है खास
तुझमे एक नई आग जिसमें जलना है तुझे आज
खुद लड़ा तो जीतेगा, लोग देखेंगे तुझको घूर
एक दिन जीतेगा तू भी, है तुझमें इतना तो नूर ।