जीवन पथ ……..
दे हाथों में हाथ संग तेरे चलती ही चली गयी
जीवन पथ पर संग तेरे बढ़ती ही चली गयी ।
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पत्थरों और कंटकों भरे हैं जीवन के ये रास्ते
साथ जो मिला इसे फूल कहती ही चली गयी।
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नींद तो आयी नहीं इसलिए ख्वाब देखा नहीं
बर्षों से टकटकी लगाए जगती ही चली गयी।
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इतना आसां नहीं होता समझना जीवन को
समझने की कोशिश तो करती ही चली गयी।
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तकरार भी साथ- साथ चलते तो रहे “पूनम”
पर उसमें छिपे प्यार से महकती ही चली गयी |
@पूनम झा | कोटा ,राजस्थान