*”जीवन पथ”*
“जीवन पथ”
जीवन पथ का पथिक हूँ मैं ,
हिम्मत से आगे घुटनों के बल बड़ती रही,
आंधी आये या तूफानों में खड़ी रही,
मंजिल तक पहुंचने को अडिग ही रही।
जीवन पथ का पथिक हूँ मैं
मंजिल पे चलने को अडिग ही रही।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
संघर्षो से जूझते हुए भी सुलझती रही,
कंटक शूल लाखो बिछे हुए फूल बन गए ,
सिर पर जिम्मेदारी का बोझ ढोते ही रही,
आत्मविश्वास सहन शक्ति लिए रही,
निडर निर्भय होकर रेंगता चलती ही रही।
जीवन पथ का पथिक हूँ मैं.
मंजिल तक पहुंचने को अडिग ही रही।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
रिश्ते नाते फर्ज निभाते संबंध नए बनाते रही ,
जिम्म्मेदारी कर्त्तव्य पथ प्रदर्शक बनी रही ,
मौन शांत चिंतन मन गूढ़ रहस्य लिए ,
रीढ़ की हड्डियों को मजबूत बनाती ही रही,
सुख की अनुभुति पाने स्वयं आगे ही बढ़ाती रही।
जीवन पथ का पथिक हूँ मैं.
मंजिल तक पहुंचने को अडिग ही रही।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
कभी रुकती न झुकती आगे बढ़ती रही ,
सत्य राह पे चलकर फर्ज निभाती रही ,
हार न मानी कभी ,जीत हासिल करती रही,
सिर पे जिम्म्मेदारी बोझ तले भी दबकर भी,
कभी न आहे भरती ,कर्म पथ पर आगे बढ़ते रही,
दूसरों की ख्वाहिशों की खातिर पसीना बहाते हुए,
जीवन पथ आसान करती ही रही।
जीवन पथ का पथिक हूँ मैं.
मंजिल तक पहुंचने को अडिग ही रही।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
निरन्तर चलते हुए आगे कदम बढ़ाती रही,
कभी न थकती कभी न रुकती चलती रही,
जीवन पथ निर्माण कार्य सुगम बनाने सही राह दिशाओं में कदम उठाते ही रही।
जीवन पथ का पथिक हूं मैं
मंजिल तक पहुंचने को अडिग ही रही।
जय श्री कृष्णा जय श्री राधेय 🙏
शशिकला व्यास शिल्पी✍️