*जीवन-नौका चल रही, सदा-सदा अविराम(कुंडलिया)*
जीवन-नौका चल रही, सदा-सदा अविराम(कुंडलिया)
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जीवन-नौका चल रही, सदा-सदा अविराम
धरती पर विश्राम से, इसे भला क्या काम
इसे भला क्या काम, हमेशा क्रम है चलता
सुबह उग रहा सूर्य, शाम होने पर ढलता
कहते रवि कविराय, मिला दो दिन का मौका
कला बुद्धि चातुर्य, दिखाती जीवन-नौका
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451