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10 Dec 2018 · 1 min read

जीवन नियम

स्वाभिमान जरा बढ़ जाए
अहम कहलाता है
स्वाभिमान कम हो तो
हर कोई धिक्कार लगाता है

अहम को त्याग दो
ये चला जायेगा
जरा तरक्की करी तुमने
ये वापिस लौट आयेगा

ये मैं की ही गंध है
जो मुझे मुझसे चुराती है
जरा जुड़ी जमीं से तो
बुलबुले सी मुझे उड़ाती है

समझ लो तुम
इमारत हो नहीं गगनचुंबी
चढ़े जो एक बार शिखर पर
उतारोगे क्या कभी नहीं

मेले का हिंडोला
जीवन चक्र सीखा रहा
आज गर चूमा आसमां
कल धरती पे गिरा रहा

नियम ऊंच नीच का बांध लो
तुम अपने दिल से
बदल जाओगे खुद बखुद
जुड़ जाओगे मिट्टी से
Anjali A
दिल्ली रोहिणी

Language: Hindi
1 Like · 348 Views
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