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28 Jun 2022 · 1 min read

जीवन धारा में

हमने ईष्या की ज्वाला में
लोगों को जलते देखा,
बदला द्वेष से नफ़रत की वो खींचते रेखा,
बनना है तो ऐसे बनो जैसे शीतल जल होता,

जीवन की राह में सुंदर रंग बिखेरते जाओ,
अपनी चंचल छवि से भविष्य वर्तमान संवारे आओ,
जैसे हो नया सृजन कविता इतने मौलिक बन जाओ,

जीवन खुशियों से जी लो भर कर
बने वो सुखद अतीत,
जैसे तेरा हो कोई सच्चा मीत,

तोड़ो चुप्पी बंधन जैसे रूकता नहीं नया चिंतन,
मन के अंतरकोनो से करो मनन,

जीवन धारा के तेज प्रवाह में
रूको नहीं,करो गमन,
गतिमान बनों जैसे होता समय चलन,

यदि धरती पर चाहते हो स्वर्ग को पाना,
नेह शब्द सागर से गाओ समता का गाना।।

-सीमा गुप्ता

Language: Hindi
1 Like · 317 Views
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